यूजीसी क्रेडिट स्कोर सिस्टम भारत में उच्च शिक्षा को और अधिक लचीला और छात्र-केंद्रित बनाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक नई पहल शुरू की है। यूजीसी ने घोषणा की है कि अब स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों में क्रेडिट स्कोर सिस्टम लागू होगा। पूर्व में छात्र किसी कारणवश [नौकरी,आर्थिक तंगी या घरेलू समस्या] एक या दो वर्ष बाद अपनी स्नातक या स्नातकोत्तर की पढ़ाई बीच में छोड़ देते थे तथा उनको डिग्री से वंचित रहना पड़ता था। लेकिन अब पढ़ाई बीच में छोड़ने के बाद भी दोबारा प्रवेश ले सकेंगे। ऐसा संभव हुआ है यूजीसी के इस नए नवाचार से । अब विद्यार्थी अपने पाठ्यक्रम से एक , दो या तीन वर्ष बाद बाहर निकल सकता है । विद्यार्थी अपने क्रेडिट स्कोर के आधार पर पुनः प्रवेश भी ले सकता है। आइए जानते है  यूजीसी का यह क्रेडिट स्कोर सिस्टम क्या है, यह कैसे काम करेगा, और कैसे यह छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

यूजीसी क्रेडिट स्कोर सिस्टम

यूजीसी क्रेडिट स्कोर सिस्टम क्या है ?

यूजीसी के अनुसार, NEP 2020 अर्थात् राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यह क्रेडिट स्कोर सिस्टम लागू किया गया है। इसके अंतर्गत:  अब विद्यार्थियों को अलग – अलग क्रेडिट स्कोर पर अध्ययन की अवधि के आधार पर सर्टिफिकेट , डिप्लोमा, डिग्री या ऑनर्स के साथ डिग्री प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, शोध के साथ ऑनर्स डिग्री के लिए 160 क्रेडिट की आवश्यकता होगी। यह सिस्टम छात्रों को अपनी पढ़ाई को लचीले ढंग से पूरा करने की सुविधा देता है। 

क्रेडिट स्कोरसमयावधिसर्टिफिकेट/डिप्लोमा/डिग्री/ओनर्स डिग्री
40एक सालसर्टिफिकेट
80दो सालडिप्लोमा
120तीन सालडिग्री
160चार सालओनर्स डिग्री

50% क्रेडिट ट्रांसफर: पढ़ाई को आसान बनाने की पहल

यूजीसी की इस नई नीति के तहत छात्र अपनी कुल क्रेडिट का 50% हिस्सा ट्रांसफर कर सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर आपने एक विश्वविद्यालय में पढ़ाई शुरू की और किसी कारणवश उसे बीच में छोड़ दिया, तो आप अपनी क्रेडिट को किसी अन्य विश्वविद्यालय में ट्रांसफर कर सकते हैं। यह सुविधा उन छात्रों के लिए वरदान है जो नौकरी, आर्थिक स्थिति, या अन्य कारणों से पढ़ाई छोड़ देते हैं।  विद्यार्थी बाकी 50 % क्रेडिट व्यावसायिक पाठ्यक्रम , इंटर्नशिप या अंतर विषय अध्ययन के माध्यम से अर्जित कर सकेंगे ।

डिजिटल क्रेडिट बैंक: भविष्य की राह

यूजीसी ने अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) की शुरुआत की है, जो एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। इस प्लेटफॉर्म पर छात्रों की सभी क्रेडिट्स स्कोर को स्टोर किया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि छात्र अपनी पढ़ाई को कभी भी, कहीं से भी दोबारा शुरू कर सकते हैं। यह सिस्टम न केवल लचीलापन प्रदान करता है बल्कि उच्च शिक्षा को डिजिटल रूप से सशक्त भी बनाता है।

दो बार प्रवेश का अवसर पर अभी है असमंजस

यूजीसी की इस नीति के तहत छात्रों को एक ही कोर्स में दो बार प्रवेश का अवसर मिलेगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई छात्र जुलाई-अगस्त में प्रवेश लेता है और किसी कारणवश उसे छोड़ना पड़ता है, तो वह जनवरी-फरवरी में दोबारा प्रवेश ले सकता है। यह सुविधा खासकर उन छात्रों के लिए उपयोगी है जो कॉलेज और यूनिवर्सिटी के बीच असमंजस में रहते हैं।फिलहाल इसके लिए कॉलेज स्तर पर सरकार को तथा यूनिवर्सिटी स्तर पर राजभवन को फैसला लेना है ।उसके पश्चात ही यह लागू किया जा सकेगा।

छात्रों और विश्वविद्यालयों के लिए फायदे

  • छात्रों के लिए: लचीलापन, दोबारा प्रवेश की सुविधा, और क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा। 
  • छात्रों के लिए: विद्यार्थी एक ही समय में दो यूजी या पीजी में एक साथ पढ़ाई कर सकेंगे । इसके लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों के माध्यम ऑफलाइन , ऑनलाइन या दूरस्थ माध्यम से शिक्षा ले सकेंगे।
  • विश्वविद्यालयों के लिए: ऑनलाइन और ऑफलाइन पाठ्यक्रमों को एकीकृत करने का अवसर। 
  • शिक्षा प्रणाली के लिए: नवाचार और डिजिटल तकनीक का समावेश। 

यूजीसी का यह क्रेडिट सिस्टम उच्च शिक्षा में एक नवाचारी कदम है। यह न केवल छात्रों को शिक्षा में लचीलापन प्रदान करता है बल्कि उन्हें बीच सत्र में नवाचार करने का अवसर भी देता है। डिजिटल क्रेडिट बैंक और 50% क्रेडिट ट्रांसफर जैसी सुविधाओं के साथ, यह सिस्टम भविष्य की शिक्षा को और अधिक समावेशी और सुलभ बनाएगा। अगर आप भी इस सिस्टम का लाभ उठाना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी विश्वविद्यालय से संपर्क करें और अपनी पढ़ाई को नए आयाम दें।

नवीनतम अपडेट और अधिक जानकारी के लिए यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट विजिट करते रहें ।

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